गरीबी देख तूने घर का बचपन अपना खोया है ! सुलाया मुझको फूलों में स्वयं कांटों में सोया है! मुझे डाँटा किया हरदम मेरी गलती पे भाई तू, फिर उसके बाद कोने में तू जाकर स्वयं रोया है !!
सुनिल शर्मा "नील"
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