कतको के खाले संगी,होटल के पिजादोसा
दाई के ओ भात कस,नई तो मिठाय जी
सुनले संगीत चाहे,दुनिया के कतको तै
दाई के ओ लोरी कस,कभू नही भाय जी!
खुद भूखे रहिके अपन कौरा ल खवाथे
अइसन दाई के कभू आंसू झन आय जी
धरती के भगवान,दाई हरे पहिचान
जेखर ममता बर, देव भी ललाय जी!!
सुनिल नील
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