शत्रु की पकड़ में बिताए दो दिवस किंतु
अधरों में रहा वंदेमातरम गान है !
हुई लथपथ काया राज न बताया पर
सारे भारतीयों का बना तू अभिमान है!
घनी अंधियारों बीच तनिक न मंद हुई
ऐसा अभिनंदन प्रखर दिनमान है,
शत्रुमद चूर कर आता तू लगा कि जैसे
लंका को जलाकर आया वीर हनुमान है !
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