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मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

मुक्तक-इरादे

मुक्तक-इरादा
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जमाने की सुनकर घबराना नही
जो हुआ उसपे आँसू बहाना नही
इरादों से आधी जंग जीती जाती है
बिना लड़े कंधे कभी गिराना नही!
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सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284


इरादा

मुक्तक-इरादा
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जमाने की सुनकर घबराना नही
जो हुआ उसपे आँसू बहाना नही
इरादों हो तो आसमाँ भी झुकते है
चाहे जो हो कभी कंधे गिराना नही!
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सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ. ग.)
7828927284


आजाद

आजाद"
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तूफ़ान में आज़ादी का खेता रहा वो नाव,
चुन चुनके अंग्रेजो को भी देता रहा वो घाव।
छू न पाई कभी गुलामी उनको जीते जी
आज़ाद था मूछों पे ही देता रहा वो ताव।
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