कुण्डलिया-मानव
मानव जीवन है वही, जिसमें हो परमार्थ |
पशु सम जीवन जानिए, जिसमें केवल स्वार्थ ||
जिसमें केवल स्वार्थ, न समझे पर की पीड़ा |
केवल खुद का ध्यान, जानिए उसको कीड़ा ||
धरती पर है बोझ, मनुज तन में है दानव |
आये सबके काम, वही है सच्चा मानव ||
सुनिल शर्मा नील
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