मोर पंख
शनिवार, 23 अप्रैल 2022
सुंदरी सवैया 1- जल
हर बूँद हवै अनमोल कहै कवि नील सुनौ जल हे जिनगानी |
बिरथा बरबाद करौ झन आप तजौ अभिमान तजौ मनमानी |
बिन एखर शून्य हवै धरती मिलके सब आप बचावव पानी |
तड़पे भुइयाँ कहिथे सुन लौ मनखे मत आप बनौ अगियानी ||
*सुनिल शर्मा*
*थान खम्हरिया*
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