फकत मेरी क्यों सबकी फ़िक्र करो भैया
सबके लिए यही पवित्र सोंच रखो भैया
न डरेगी कोई बहन सड़कों पर देखना
गर द्रोपदी का सम्मान कृष्ण बनो भैया
दुसरो की बहन माल व आइटम न लगे
ऐसा नेक वादा और इरादा करो भैया
ऐसे फिकरे क्या सुन पाओगे मेरे लिए
भूलकर ऐसे शब्द न इस्तेमाल करो भैया
ये धागा स्नेह के विविध रंगो से सजा है
इस रेशम के धागे की लाज रखो भैया
मुझे जरूरत नहीं महंगे उपहारो की
बस मेरे जीवन का तुम सार बनो भैया
ये सच है ताली एक हाथ से नहीं बजती
कुछ लोगो के कारण न क्रोध करो भैया
बहनों को भी जरूरी है कर्तव्यों का ज्ञान
तुम इस पावन सोंच के सूत्रधार बनो भैया|
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा (छ.ग.)
7828927284
रचना-26/08/2015
समय-12:13अपरान्ह
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