रविवार, 21 मई 2017

एक पिता से उसका

एक पिता से उसका,,,,,,
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अधरों से उसका मुस्कान छीना है
पौधे से उसका बागबान छीना है
स्वार्थसिद्धि में फिर किसी कैकई ने
एक पिता से उसका संतान छीना है!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284

बुधवार, 17 मई 2017

मैं शिव तो शक्ति

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मैं शिव तो शक्ति तुम हो
मैं साधना तो भक्ति तुम हो
मैं काव्य तो सार तुम हो
मैं वीणा तो तार तुम हो
मैं गीत तो राग तुम हो
मैं जीवन तो अनुराग तुम हो
मैं बसन्त तो बहार तुम हो
मैं सावन तो फुहार तुम हो
मैं सुगंध तो चंदन तुम हो
मैं हृदय तो स्पंदन तुम हो
मैं दीया तो ज्योत तुम हो
मैं नदी तो स्रोत तुम हो
मैं वाणी तो मिठास तुम हो
मैं प्यासा तो प्यास तुम हो.......
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बस अंत में यही कहना है प्रिये तुमसे
ही मैं हूँ, मेरे होने का अर्थ है तू नही तो सब व्यर्थ है,,,,,

मंगलवार, 9 मई 2017

बन सका कंचन

पहिनने वालों ने उसकी तपन शायद नहीं देखी ।
चमक देखी छिपी उसमें जलन शायद नहीं देखी ।
अँगारों को सहा जिसने वही बस बन सका कंचन ।
जमाने ने अंगीठी की अगन शायद नही देखी!

सोमवार, 8 मई 2017

फिर उड़ न पाया

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इतना टूटा कि फिर जुड़
न पाया
उन गलियों की ओर मुड़
न पाया
जिनसे हौसला था भरोसा
उसी ने तोड़ा
गिरा इस तरह पँछी की फिर
उड़ न पाया
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सुनिल शर्मा"नील"
ओजकवि,थानखम्हरिया,(छ. ग.)

लोभ बन गया धर्म

मानवता लज्जित यहाँ,सबके गंदे कर्म
पानी आंखों का मरा,लोभ बन गया धर्म

रविवार, 7 मई 2017

तब जाकर कंचन कहाया है,,,,


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जमाने वालों ने उसका तपन
नही देखा
चमक के पीछे छुपा जलन
नही देखा
अंगारों को सहा तब जाकर
कंचन कहाया है
लोगों ने दुश्वारियों भरा उसका
जीवन नही देखा!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
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शुक्रवार, 5 मई 2017

मुक्तक हेतु

मुक्तक मे ध्यातव्य बातें
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१- मुक्तक में चार चरण होते हैं।
२- पहले चरण में जितनी मात्रा हों बाकी ३ में भी उतनी ही रहें।
३- चारो चरण समान लय में हों।
४- तुक मात्रा से न लेकर वर्ण ( अक्षर) से ली जाय।
५- तुक में आए शब्द का दोहराव न हो।
६- तुक वाले शब्द का अंतिम वर्ण न बदले। वर्ण से पूर्व के स्वर का भी खयाल रखा जाय।
७- पूरे मुक्तक का भाव पक्ष एक ही रहे।
८- रदीफ ( मतला यानी पहले २ चरण के अंतिम जो शब्द समान हों) चौथे चरण में वही रहे जो मतले में है।
चेतनानंद