एक बार सीता जी ने प्रश्न किया राघव से
आचरण आपका ये समझ न आया है |
गृहभोज गुरु मुनि मात ने खिलाया किन्तु
श्रेष्ठ स्वाद शबरी के बेर का बताया है |
मायापति आपकी ये कौन सी है माया कहो
शिष्टाचार नाथ कैसा आपने निभाया है |
राम बोले प्रिये मैंने शबरी सा प्रेम भाव
व्यंजनों में किसी के न आजतक पाया है ||
सुनिल शर्मा 'नील'
छत्तीसगढ़
8839740208
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