मोर पंख
गुरुवार, 14 जनवरी 2021
इंसान(उल्लाला-2)
उल्लाला-१०
*इंसान*
("सुधार के बाद")
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सबके अंतस भीतरी, देखय जे भगवान रे |
ओला तैं हर जान ले, सिरतो मा इन्सान रे ||
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सुनिल शर्मा"नील"
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