बुधवार, 30 मार्च 2016

विश्व विजय करने चलें(मुक्तक)

अधूरा मुक्तक सृजन-271 मुक्तक सृजन-46 आदरणीय सुविख्यात कवि श्री विद्याभूषण जी,एडमिन वीर पटेल जी और आप सभी गुणीजनों को सादर प्रस्तुत........... """"विश्व विजय करने चले""""""" ******************************** विश्वास अटूट तुमपे ,तुमपे हमें गुरूर है लाओगे कप जीतके ,दुआएँ ये भरपूर है रोक न सकेगा कोई,कैसा भी हो तूफान विश्व विजय करने चलें,सिर्फ दो कदम दूर है ********************************* सुनिल शर्मा"नील" थान खम्हरिया,बेमेतरा (छत्तीसगढ़) 7828927284 30/03/2016

मंगलवार, 29 मार्च 2016

गीता का ज्ञान

गीता का ज्ञान(दोहा)
**************
चिंता फल की छोड़दे
कर्म श्रेष्ठ है जान
चलके मंजिल आएगी
है गीता का ज्ञान
***************
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया
बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
29/03/2016

गुरुवार, 24 मार्च 2016

होली तिहार हरय

********************************* होली तिहार हरय पाप ल बारे के
भीतर म बइठे घमंड ल मारे के
मया अउ प्रेम के रंग उडाय के
छोटे बड़े सबला गला लगाय के
सियान मनके अशीष पाय के
मीठ बोले अउ मिठ खाय के
कचरा ल बार साफ सफई के
फाग के गीत म मदमस्त नचइ के
देश अउ समाज म मिठास घोरे के
घरोघर फइले नशा ल छोरे के
नोहय तिहार एहा अश्लीलता के
चिन्हारी हरे संस्कृति के बिशेषता के|| *********************************===वन्दे मातरम्===
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
७८२८९२७२८४
९७५५५५४४७०
रचना-२५\०३\२०१६
©®

शुक्रवार, 18 मार्च 2016

गद्दार "वोवेसी"

रचना-सुनिल शर्मा"नील", थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़) 7828927284 ********************************
जिस भूमि को 'कलाम' ने मरते दम तक था
मान दिया
जिसके खातिर ही 'हमीद' ने न्यौछावर था
प्राण किया

जिस भूमि की महिमा को वेदों ने भी
बतलाया है
"वन्दे मातरम्"कह करके वीरों ने माथ
लगाया है

जिस माता के लिए जवानी सूली पर चढ़
जाती हो
जिसके आन के खातिर बहने अपना सिंदूर मिटाती हो

जिस माँ ने पावन हाथों से तुझको इतना
प्यार दिया
बोल "वोवेशी" उस माता पर फिर तूने क्यों
वार किया

तु ऐसा गद्दार है जिसको माता कहना न
भाया है
अपने माँ के ही आँचल में  जिसने आग
लगाया है

दिया हवाला संविधान का भारत माता न
बोलूँगा
छुरी अड़ा दो गले पे फिर भी अपना मुँह न खोलूँगा

कौन था पहले आया मुझको यह थोड़ा
बतला दे तू
संविधान था पहले या पहले था हिन्द
दिखला दे तू

अम्मी को अम्मी तू क्या संविधान देखकर बोलेगा
कुर्ते-पायजामे भी क्या संविधान देखकर
पहनेगा

मात्र भूमि का खंड समझ न ,धरती है यह अभिनन्दन की
जिसकी माटी माथ लगाई जाती है उस
चंदन की

जिन्ना के औलाद तुझे सुन देश आज
शर्मिंदा है
शुक्र मना भारत में ऐसा कहकर भी
तू जिंदा है

माना सोये है "कुछ"पर एक दिन जब
सारे जागेंगे
तेरे जैसे आस्तीन के साँप पाक तब
भागेंगे

हैदराबाद को पाक बनाना सपना तेरा
रह जाएगा
आएगा वह दिन भी जब तू वन्दे मातरम्
गाएगा

"नील"कहे जिस दिल में प्रेम न मुल्क के
खातिर बसता हो
कुचलों सिर ऐसे साँपों का जो राष्ट्र को मेरे डसता हो| ********************************* कृपाकर बिना काट-छाँट के मूल रूप में ही शेयर करे...............................
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18/03/2016

गुरुवार, 3 मार्च 2016

""""नारी""""

""""""""""नारी""""""""""""""
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
समाहित है सबमें "नारी"वह
शक्ति है
शबरी का स्नेह तो कभी मीरा
की "भक्ति"है
गंगोत्री है जीवन की जो नमन
मेरा उन्हें 
चिंता में घर के जो करती खुद
से "विरक्ति" है"
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
04/03/2016

बुधवार, 2 मार्च 2016

"पवन "हो बहना कहाँ भूल पाओगे?

छत्तीसगढ़ महतारी के बेटे प्यारे थे
संत,कवि "पवन" सबके दुलारे थे
'राजिम' जन्मभूमि,भगवा परिधान था
सरस्वती का जिन्हें असीम वरदान था
भागवत अमृत गाँव-गाँव बहाते थे
ओजस्वी वाणी से सबको जगाते थे
धीर थे,वीर थे किन्तु बड़े गंभीर थे
छत्तीसगढ़ी अस्मिता के प्रतीक थे
वाणी से छत्तीसगढ़ प्रेम टपकता था
"महतारी" प्रेम बातो से झलकता था
छत्तीसगढ़ निर्माण के प्रमुख आधार थे
शोषण के विरुद्ध एक कड़ा प्रतिकार थे
उन्मुक्त मुस्कान से हृदय जीत जाते थे
कविता से सबके अंतस को छु जाते थे
ऊँचाई पाकर भी तुम सदा सरल रहे
जैसे महानदी की धारा अविरल बहे
"पवन"हो बहना कहाँ भूल भुलाओगे
फिजाओं में मिल छत्तीसगढ़ महकाओगे|
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
9755554470
03/03/2016
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